Reviewer:
bhaibhopali
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December 21, 2012
Subject:
कालजयी कृति
एक बेहतरीन पुस्तक जिसकी तलाश वर्षों से थी । आज से सवा सौ साल पहले भारतीय भाषाओं का इस तरह अनूठा व्याकरण लिखने का काम उनकी भाषाविज्ञान और प्राच्य विद्याओं के प्रति लगन की वजह से ही सम्भव हो सका । इस पुस्तक का प्रयोग अनेक अध्येता वर्षों से आधार ग्रन्थ की तरह करते रहे हैं ।